गंगा को पुनर्जीवित करने हेतु विगत कुछ दशको में इसकी तलहटी में जमा गाद को हटाना एक महत्वपूर्ण कार्य है जिसके लिए अत्यधिक जोश एवं ऊर्जा की आवश्यकता होगी. इस ऊर्जा की पूर्ति यांत्रिक अथवा मानवीय दोनों संसाधनों द्वारा संभव है. वस्तुतः यह कहना सही होगा की इस परिप्रेक्ष्य में यंत्रो के स्थान पर केवल मानवीय ऊर्जा ही अपेक्षित कार्य करेगी. यंत्रो के सहारे गंगा की गाद साफ़ कर पाना मुश्किल है जबकि मानव श्रम द्वारा इस कार्य को कुशलता पूर्वक आसानी से किया जा सकता है.
सावन माह में कावन यात्रा के दौरान असीमित जोश एवं उर्जा का प्रदर्शन होता है. इस उर्जा को उचित दिशा प्रदान कर दी जाय तो आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त हो सकते है.बैद्यनाथ धाम देवधर में स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है जहाँ की भूमि पथरीली अनुपजाऊ है.प्रतिवर्ष लाखों कांवरिये असीमित उर्जा से अभिभूत गंगाजल बाबा वैद्यनाथ पर चढाते है.ये कांवरिये गंगाजल के साथ साथ अपने क्षेत्र के जलश्रोत की थोड़ी मिटटी भी यदि यहाँ लेते आये तो इससे दो फायदे होंगे.कालांतर में स्थानीय जलश्रोत स्वतः गहरे हो जायेगे तथा बाबा धाम के आसपास की भूमि उपजाऊ हो जाएगी.आवश्यकता प्रधानमंत्रीजी एवं अन्य क्षेत्र के नेताओ द्वारा प्रभावी अपील की है जिससे इस असीमित उर्जा को उचित दिशा मिले.
सावन माह में कावन यात्रा के दौरान असीमित जोश एवं उर्जा का प्रदर्शन होता है. इस उर्जा को उचित दिशा प्रदान कर दी जाय तो आश्चर्यजनक परिणाम प्राप्त हो सकते है.बैद्यनाथ धाम देवधर में स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है जहाँ की भूमि पथरीली अनुपजाऊ है.प्रतिवर्ष लाखों कांवरिये असीमित उर्जा से अभिभूत गंगाजल बाबा वैद्यनाथ पर चढाते है.ये कांवरिये गंगाजल के साथ साथ अपने क्षेत्र के जलश्रोत की थोड़ी मिटटी भी यदि यहाँ लेते आये तो इससे दो फायदे होंगे.कालांतर में स्थानीय जलश्रोत स्वतः गहरे हो जायेगे तथा बाबा धाम के आसपास की भूमि उपजाऊ हो जाएगी.आवश्यकता प्रधानमंत्रीजी एवं अन्य क्षेत्र के नेताओ द्वारा प्रभावी अपील की है जिससे इस असीमित उर्जा को उचित दिशा मिले.
No comments:
Post a Comment