Wednesday 22 October 2014

प्रस्तावना

 वर्तमान में गंगा नदी के परिप्रेक्ष्य में निम्न तीन मुख्य समस्याए है-
१.जल की मात्रा में अप्रत्याशित रूप में कमी,
२.नदी तट में प्रतिवर्ष अत्यधिक गाद का जमाव, एवं
३.नदी तट पर स्थित शहरी इकाइयों के अपशिष्टों का नदी में सीधे निस्तारण.
इन समस्याओ को सुलझाने के लिए अबतक बहुत कुछ कहा गया है, लिखा गया है, आन्दोलन किये गए है, एवं प्रचुर धनराशि भी व्यय की जा चुकी है परन्तु अपेक्षित परिणाम कहीं दिखायी नहीं पड़ रहे है. इन तीनो बिंदुओं पर निम्न प्रकार से कार्यवाही करते हुए कम समय में अपेक्षित परिणाम प्राप्त किये जा सकते है-
१.गंगा नदी के दो जल स्रोत्रो में से हिमालय की घटती हुई बर्फ को बढ़ाना फिलहाल मानव के वश में नहीं है किन्तु दूसरा जल स्रोत- सहायक नदियाँ, नाले, झील, तालाब आदि को पुनर्जीवित किया जा सकता है. गंगा नदी के कैचमेंट एरिया में पडने वाले सभी तालाबो, पोखरों, झीलों, सागर आदि को अधिकतम क्षमता तक गहरा करके अधिकतम जल संचय योग्य बनाया जाय.परिणामस्वरूप छोटे छोटे नालों एवं नदिओं में वर्ष पर्यन्त जल उपलब्ध रहेगा जो गंगा की सहायक नदिओं के माध्यम से गंगा तक आसानी से पहुँच जायेगा तथा भूजल पुनर्भरण अधिकतम होने से भूजल भी गंगा नदी में स्वयमेव पहुंचेगा.
२.गंगा नदी की सम्पूर्ण लम्बाई में जहाँ - जहाँ संभव हो- दोनों किनारों पर दो से डेढ़ किलोमीटर तक या अधिक भूमि को आरक्षित करके खेती पर रोक लगा देना चाहिए ताकि कृषि कार्यों के परिणामस्वरूप ढीली हुई मिटटी नदी की ओर ढलान होने के कारण वर्षा जल के साथ नदी में न जा सके. इस आरक्षित भूमि पर छोटे छोटे उगती हुई वनस्पतिओं की कटाई एवं जानवरों की चराई रोक दी जाय तो प्राकृतिक रूप में इस पर कालांतर में स्वतः विषद जंगल उत्पन्न हो जाएगा. यह जंगल गंगा में जाने वाली गाद को प्रभावी तरीके से रोकेगा. नदी ताल पर जमी गाद बढे जल प्रभाव के परिणाम स्वरुप धीरे धीरे स्वतः साफ़ होती जायेगी.
३.शहरी अपशिष्टो के निस्तारण में मोडर्न एवं लेटेस्ट तकनीक का प्रयोग करके प्रदूषित जल एवं ठोस अपशिष्टों का पुनः प्रयोग करके नदी में जीरो डिस्चार्ज की अवधारणा का शत प्रतिशत प्रयोग सुनिश्त किया जाय. हम लोग आज कल डेढ़ सौ दो सौ साल पुरानी तकनीक का प्रयोग कर रहे है जो अपशिष्टो की प्रकृति बदल जाने के फलस्वरूप निष्प्रभावी हो चुकी है.
उपरोक्तानुसार यदि कार्यवाही की जाये तो कम से कम समय में कम से कम व्यय में आशानुकूल परिणाम प्राप्त हो सकते है.

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